सनातन धर्म में पूजा पाठ की प्रणाली कोई नई नहीं है बल्कि यह प्राचीन काल से ही चली आ रही है। प्राचीनकाल से ही लोग विभिन्न देवी देवताओं को पूजते आ रहे हैं।
लेकिन सभी पूजा में कुछ चीजों का महत्व हमेशा एक सा रहा है और इन्हीं में से एक है साथिया या सतिया के नाम से जाना जाने वाला स्वास्तिक चिन्ह। सनातन धर्म में इस चिन्ह का बहुत ही विशेष स्थान है।
आज के इस लेख में हम आपको इस चिन्ह से जुड़ी विभिन्न जानकारी देने का प्रयास करेंगे। तो आइए शुरू करते हैं आज का यह लेख।
सबसे पहले हम आपको बता दें कि यह तीन शब्दों से मिलकर बना हुआ है।
सु जिसका अर्थ “शुभ” होता है।
अस जिसका अर्थ “अस्तित्व” होता है।
और क जिसका अर्थ “कर्ता” होता है।
इन तीनों शब्दों को मिलाया जाएं तो इसका संपूर्ण अर्थ मंगल करने वाला होगा।
गणेश जी के प्रतीक माने जाने वाले इस चिन्ह को किसी भी मंगल कार्य से पहले अवश्य बनाया जाता है।
सनातन धर्म में इस चिन्ह को भगवान विष्णु का आसान माना गया है साथ ही इस चिन्ह को माता लक्ष्मी के अवतार के रूप में भी देखा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जिस भी ग्रह में यह चिन्ह बना होता है वहां पर सुख, शांति, समृद्धि की कभी कमी नही होती और उस घर में रह रहे व्यक्ति के जीवन से बलाओं का नाश होता है।
वहीं इस चिन्ह का और अधिक लाभ तब होता है जब इसे सिंदूर, कुमकुम या चंदन से बनाया जाएं।
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स्वास्तिक चिन्ह का महत्व
स्वास्तिक चिन्ह के बहुत से महत्व ज्योतिष शास्त्र में बताएं गए है। आइए जानते है इन सभी महत्वों के बारे में:
- यदि दिवाली के घर की तिजोरी या पैसे रखने के स्थान यह चिन्ह बना दिया जाएं तो घर में पैसे की कभी कमी नही होती।
- यदि लगातार सात बृहस्पतिवार तक ईशान कोण में यह चिन्ह बनाया जाएं तो नौकरी और व्यवसाय में चल रही मंदी या घाटे की समस्या दूर हो जाती है।
- यदि घर के मुख्य द्वार यह चिन्ह बना दिया जाएं घर सुख , शांति और समृद्धि से भर जाता है।
- जिस भी घर में यह चिन्ह बना दिया जाता है उस घर में सकारात्मक ऊर्जा की कमी नही होती।
- यह चिन्ह बनाकर देवी लक्ष्मी को प्रसन्न किया जा सकता है।
- ऋग्वेद में इस पूरे चिन्ह को सूरज का प्रतीक माना गया है और इसकी चार भुजाएं चार दिशा दर्शाती है।
- पढ़ने लिखने वाले बच्चों को इसे अपने कमरे में सफेद कागज पर बनाकर टांग लेना चाहिए।
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स्वास्तिक चिन्ह बनाने का तरीका
इस चिन्ह को बनाने का एक विशेष तरीका है। लेकिन सही तरीका सीखने से पहले आइए हम जानते हैं कि स्वास्तिक चिन्ह क्या होता है।
दरअसल स्वास्तिक चिन्ह एक दूसरे को काटती हुई दो रेखाएं है जो पहले स्वयं मुड़ती है और फिर थोड़ी दूरी पर चलकर अपने सिरों को मोड़ देती है।
इन रेखाओं के बीच में एक एक छोटा सा बिंदु लगाएं। ऐसा कहा जाता है कि स्वास्तिक के दायां भाग भगवान गणेश का बीज मंत्र गं है और इसमें बनाएं गए चार बिंदु पार्वती, कछुआ और पृथ्वी हैं।
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इस चिन्ह को दो तरीकों से बनाया जा सकता है
- दक्षिणावर्त यानि की घड़ी की दिशा में जिसमें रेखा आगे की ओर इशारा करती है और हमारे दाएं और मुड़ती है।
- काउंटर क्लॉकवाइज स्वास्तिक में रेखाएं हमारे बाएं और मुड़ जाती है और पीछे की ओर इशारा करती नजर आती है।
स्वास्तिक को दाहिने हाथ की अनामिका से बनाना चाहिए या फिर पांचों उंगलियों से बनाना चाहिए।
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स्वास्तिक को बनाने का सही समय
जैसा कि हम आपको बता चुके हैं कि स्वास्तिक मंगल का प्रतीक माना जाता है इसलिए आप इसे किसी भी दिन जब भी आप किसी शुभ कार्य की शुरुआत करने जा रहे हो बना सकते हैं। लेकिन यदि आपके घर के आसपास या सामने कोई खंभा स्थित है तो यकीनन आपके घर में नकारात्मक ऊर्जा का वास होगा। इसलिए जरूरी है कि आप इसे रोज अपने घर के मुख्य द्वार पर बनाएं।
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स्वास्तिक बनाते वक्त बरतें ये सावधानियां
स्वास्तिक बनाते समय हमेशा कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए।
- इस चिन्ह को कभी भी क्रॉस बनाकर नही बनाना चाहिए अन्यथा आप आप कई तरह के दुष्परिणाम झेलने पड़ सकते है ।
- इस चिन्ह को कभी भी जमा यानि की प्लस (+) का साइन बनाकर भी नहीं खींचना चाहिए। ऐसा करना भी बेहद अशुभ माना जाता है।
अपने आज के इस लेख के माध्यम से हमने आपको यह बताया कि स्वास्तिक चिन्ह क्या है, इसके महत्व क्या है, इसे कैसे बनाना चाहिए तथा इसे बनाते वक्त कौन सी सावधानी बरतनी चाहिए।
स्वास्तिक चिन्ह शुभ का सूचक है अतः इसे बनाते वक्त सावधानियां अवश्य बरतें। यदि आपको हमारा यह लेख लाभदायक लगता है तो अपनी राय हमें कमेंट करके अवश्य बताएं।
स्वास्तिक चिन्ह के बारे में मैं यह जानना चाहती हूं कि क्या सच में घर के दरवाजे पर स्वास्तिक चिन्ह बनाकर शुभ लाभ लिखने से घर में स्थित नकारात्मक ऊर्जाएं नष्ट हो जाते हैं ???
स्वास्तिक का चिन्ह हिंदू धर्म में बहुत शुभ माना जाता है हम जानना चाहते हैं कि यह चिन्ह हमें घर के किस दरवाजे पर बनाना चाहिए जिससे देवी देवताओं का आशीर्वाद हमारे और हमारे परिवार पर सदा बना रहे ?
स्वास्तिक चिन्ह को सिंदूर से बनाना शुभ माना जाता है या फिर कुमकुम से बनाना इसके बारे में अपनी राय दें ?
स्वास्तिक चिन्ह पौराणिक कथाओं के अनुसार तथा हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार बहुत ही उत्तम माना जाता है और हिंदू धर्म में इस चिन्ह का बड़ा महत्व है कोई भी शुभ कार्य शुरू करने से पहले स्वास्तिक चिन्ह बनाना बहुत महत्वपूर्ण है इसलिए इस चिन्ह को बहुत ही ध्यान पूर्वक शुद्ध और साफ आचरण वाले व्यक्ति को ही बनना चाहिए यह चिन्ह नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करने में सक्षम है स्वास्तिक चिन्ह को लेकर मैं इतना ही कहूंगा कि हमारे घर के दरवाजे पर यह चिन्ह बहुत ही शुभ संकेत है
हिंदू धर्म में स्वास्तिक के चिन्ह की बहुत मान्यता होती है इस चिन्ह का मतलब शुभ संकेत होता है गलती से भी इस चीन को गलत नहीं बनना चाहिए नहीं तो इसके विपरीत परिणाम भी भूख ने पढ़ सकते हैं।
यदि स्वास्तिक का चिन्ह किसी वजह से गलत बन जाये तो इसके गलत परिणाम होते है तो ऐसे में क्या उस चिन्ह को हटा कर दोबारा से ठीक कर देने से बुरे परिणाम से बचा जा सकता है या नहीं ??
स्वास्तिक का चिन्ह हमें अपने घर पर कौन-कौन सी जगह पर बनाना चाहिए जिससे कि सकारात्मक ऊर्जा का हमारे घर में वास रहे ??
यदि कोई गलती से स्वास्तिक के चिन्ह को क्रॉस निशान के द्वारा बना दे तो क्या उस चिन्ह को मिटा देना चाहिए और दूसरे तरीके से बनना चाहिए ??
यह अच्छाई, शुभता, सौभाग्य का प्रतीक होता है हम जानना चाहते हैं कि इस चिन्ह को बनाते समय किन-किन विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए ??
हम जानना चाहते हैं घर में सुख समृद्धि इत्यादि के लिए स्वास्तिक के चिन्ह को कहां पर बनाना चाहिए मुख्य स्थान क्या है इसके बारे में हमें बताएं ?
स्वास्तिक का चिन्ह हिंदू धर्म के अनुसार बहुत ही शुभ माना जाता है हम जानना चाहते हैं कि स्वास्थ्य के चिन्ह को बनाने के लिए क्या कोई विधि होती है और यदि होती है तो कृपया हमें उसके बारे में भी बताएं ??
हम जानना चाहते हैं कि अपने घर के अंदर स्वास्तिक का चिन्ह बनाने का सबसे अच्छा स्थान कौन सा होता है ??
स्वास्तिक का चिन्ह बहुत ही शुभ माना जाता है हम जानना चाहते हैं कि घर के अलावा स्वास्तिक के चिन्ह को यदि हम घर पर कोई नया सामान या कोई नई वस्तु लेकर आते हैं और उसे पर भी स्वास्तिक का चिन्ह बनाया जाए तो क्या यह शुभ माना जाता है ??